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शब्दयोग सत्संग, ४०वां अद्वैत बोधशिविर
२७ जनवरी, २०१८
ऋषिकेश
गुरू गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने गोविंद दियो बताय।
~ संत कबीरदास
प्रसंग:
गुरु कौन है?
गोविंद का मतलब क्या है?
संत कबीरदास किस गुरु की तरफ संकेत कर रहे है?
गुरु कबीर ऐसा क्यों कहते हैं कि 'गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने गोबिंद दियो मिलाय।।'
गुरु और शिष्य के बीच कैसा रिश्ता होता है?
संतों ने गुरु को सबसे ऊँचा दर्जा क्यों दिया है?
मन गुरु के प्रति समर्पित कैसे रहे?
गुरु से मिली सीख को सदैव अपने साथ कैसे रखें? गुरु के सान्निध्य से क्या लाभ है?
एक शिष्य, गुरु के लिए क्या कर सकता है? गुरु- शिष्य क्या हैं वास्तव में?
गुरु- शिष्य में कैसा सम्बन्ध हो? गुरु को कैसे समर्पित करें?
गुरु के सान्निध्य में होने का क्या आशय है? गुरु के सान्निध्य से क्या लाभ है?
शिष्य को अनुशासित होना कितना आवश्यक है?
गुरु से शिष्य को क्या मिलता है?
किसी को गुरु मानने से पहले क्या ध्यान में रखना चाहिए?
आध्यात्मिक गुरु का क्या अर्थ है?